Synopsis
This Podcasts covers inexplicable messages of great saints - Sant Kabir, Mira by Swami Adgadanand.
Episodes
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Kundalini
28/01/2017 Duration: 01h18min‘‘कुंडलिनी’’- योग-पथ की क्रमोन्नत सात भूमिकायें हैं। एक भूमिका से दूसरी अवस्था का सन्तरण कुंडलिनी जागृति है जिसकी अंतिम श्रेणी पार कर लेने पर स्थिति है, जहाँ जन्म-मृत्यु का क्रम समाप्त हो जाता है। यह सद्गुरु प्रदत्त साधना का नामान्तर मात्र हैं। #Sadhguru #Kundalini #Yoga
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Daras diwana bavla
28/01/2017 Duration: 01h04min‘‘दरस दिवाना बावला’’- प्रस्तुत पद में भजन में निमग्न अवधूत के लक्षणों पर प्रकाश डाला गया है। एकांत सेवन, एक परमात्मा में लव लगाकर रहना, सद्गुरु की प्राप्ति से विघ्नों का अंत भजनानन्दियों का मार्गदर्शक भजन है। #Kabir #Mira #Sadhguru
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Santo sahaj samadhi bhali
28/01/2017 Duration: 01h10min‘‘संतो ! सहज समाधि भली’’- परमतत्त्व परमात्मा सदैव एकरस, सहज है। उसके साथ समत्व प्राप्त होने पर योगी का भजन कैसा होता है ? उसकी रहनी कैसी होती है ? उसकी श्वास सदा भजनमय ही रहती है। #Kabir #Mira #Sadhguru #Samadhi
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Dharmacharan
28/01/2017 Duration: 56min‘‘धर्माचरण: विचार या विश्वास ?’’- यह एक भक्त के प्रश्न का उत्तर है कि धर्माचरण विचार से होता है या विश्वास से ? भगवान से कुछ परिचय मिलने पर ही विश्वास पुष्ट होता है। बिना प्रमाण के विश्वास होता भी नहीं। कदाचित् है तो अंधविश्वास है। #Kabir #Mira #Sadhguru #Dharma
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Ghungat ke pat khol
28/01/2017 Duration: 01h20min‘‘घूँघट के पट खोल’’- अंतःकरण के छल-कपट को घूँघट की संज्ञा दी गयी है। कपट का आवरण दूर करते ही प्रियतम परमात्मा के मिलन का विधान है। भक्ति का दीप जला कर आसन को अचल कर लें, आपके प्रियतम मिलेंगे। #Kabir #Mira #Sadhguru
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Avatar
28/01/2017 Duration: 01h12min‘‘अवतार’’- अवतार के विषय में संसार में विलक्षण भ्रान्तियाँ है। वस्तुतः अवतार योगी के हृदय में होता है। जिस परमात्मा की हमें चाह है, जिस सतह पर हम हैं, प्रभु का उसी सतह पर उतर आना और आत्मा से अभिग्न होकर मार्गदर्शन करना अवतार की निम्नतम जागृति है। शनैः-शनैः परमात्मामय वातावरण का छा जाना अवतार की पराकाष्ठा है। #Kabir #Mira #Sadhguru #Avatar
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Aalam hai udasi ka
28/01/2017 Duration: 01h04min‘‘आलम है उदासी का’’- यह साधनापरक गजल मिश्रित कव्वाली है। साधना के आरम्भ में ही प्रभु एक झलक दिखा कर चले जाते हैं। तभी तो उन्हें प्राप्त करने की व्याकुलता बढ़ जाती है और साधक प्राप्त करके ही दम लेता है। #Kabir #Mira #Sadhguru
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Dhobiya jal bich
28/01/2017 Duration: 01h12min‘‘धोबिया जल बिच मरत पियासा’’- यहाँ संत कबीर ने साधक को धोबी की संज्ञा दी, जो अपने जन्म-जन्मांतरों के दागों की धुलाई स्वयं करने में समर्थ है। ब्रह्म उसी के हृदय में है। भक्तिरूपी जल भी उसके हृदय में है। जल के बीच में भी वह प्यासा है। उसकी विधि संतों के पास है। विषयोन्मुख मन को वे प्रभु की ओर उन्मुख कर देते हैं। #Kabir #Mira #Sadhguru
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Bandagi ho us shan
28/01/2017 Duration: 58min‘‘बन्दगी हो तो उस शान की’’- पूजन का अर्थ आँख मूँदना नहीं। वंदन उस ऊँचाई का हो कि ज्यों-ज्यों शिर झुके प्रभु की अनुकम्पा उतरती जाय, परिस्थितियों में सुधार होता जाय, ईश्वरीय आलोक में साधक अग्रसर होता रहे। #Kabir #Mira #Sadhguru
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Pani bicha min pyasi
28/01/2017 Duration: 51min‘‘पानी बिच मीन पियासी’’- पूर्व महर्षियों ने ईश्वर को हृदय-देश में प्राप्त किया। उसी ब्रह्मामृत के मध्य रहकर भी आप प्यासे हैं। क्या करें कि वह मिल जाय-वह विधि इसमें प्रस्तुत है। #Kabir #Mira #Sadhguru
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Sasurase gauna ulat chala re
28/01/2017 Duration: 42min‘‘ससुरा से गवना उलटि चल्यो नैहरवाँ’’- संसार में पड़ा जीव परमात्मा में लव लगाकर अपने स्वरूप नैहर (उद्गम) की ओर चला गया। दृष्टांतों के द्वारा संत कबीर ने जीवात्मा और परमात्मा के मिलन का चित्रण किया है। #Kabir #Mira #Sadhguru
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Ras gagan gufa mein
28/01/2017 Duration: 39min‘‘रस गगन गुफा में अजर झरै।’’- आरंभिक अवस्था के साधक को भजन में आनन्द नहीं मिलता। किन्तु एक ऐसा स्तर आता है ‘गगन गुफा’, उसमें प्रवेश के साथ ही ‘रस अजर झरे’ जिसका नाम ब्रह्मानन्द है वह अजस्र बहता ही रहता है, ईश्वरीय ध्वनि सुनाई देने लगती है, ईश्वरीय दृष्टिगोचर होने लगता है। #Kabir #Mira #Sadhguru
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Pranayam
28/01/2017 Duration: 54min‘‘योगशास्त्रीय प्राणायाम’’- मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार-चतुष्टय अन्तःकरण प्राण कहे जाते हैं। इनके क्रिया-कलाप पर विराम लग जाना प्राणायाम है। मन में न कोई संकल्प उठे और बाह्य वायुमण्डल के संकल्प अन्तःकरण में प्रवेश न कर पायें, इस स्थिति का चित्रण प्राणायाम है। #Meditation #Yoga #Pranayam #Mind
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Ab hum dono kul ujayari
28/01/2017 Duration: 01h01min‘‘अब हम दोनों कुल उजियारी’’- ईश्वर-पथ पर कोई निर्गुण उपासक है तो कोई सगुण। कबीर कहते हैं कि अब ऐसी स्थिति आ गयी है कि दोनों कुल अर्थात् सगुण भगवान और निर्गुण ब्रह्म दोनों ही मुझमें प्रकाशित है। दोनों साधना एक ही हैं, अन्त में दोनों एक ही तत्व में विलीन हो जाती हैं। #Kabir #Mira #Sadhguru
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Aneko prshna aise hai
28/01/2017 Duration: 48min‘‘अनेकों प्रश्न ऐसे हैं जो दुहराये नहीं जाते’’- ईश्वरीय पथ में साधन जागृत हो गया, बीजारोपण हो गया तो बीज का नाश नहीं होता, यह दुहराया नहीं जाता। इसी प्रकार बहुत से उत्तर भी ऐसे हैं जो बतलाये नहीं जाते, अनुभवगम्य हैं। वाणी से सब कुछ कह देने पर भी साधना जागृत होने पर ही समझ में आती है। #Kabir #Mira #Sadhguru
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Todana tute hua dilko
28/01/2017 Duration: 55min‘‘तोड़ना टूटे हुए दिल को बुरा होता है’’- मग्न हृदय लोगों को ठेस नहीं पहुँचाना चाहिए। परिस्थिति बदलते देर नहीं लगती अतः हताश नहीं होना चाहिए। इस संसार में जिसका कोई नहीं होता उसका रक्षक परमात्मा स्वयं हुआ करता है। #Kabir #Mira #Sadhguru
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Siddha hai koi atit
28/01/2017 Duration: 01h06min‘‘सिद्ध है सोई अतीत कहावै।’’- इस भजन में सिद्ध के लक्षण, गुणातीत के लक्षण, संन्यास की स्थिति, परमहंस के लक्षण विजयाहवन इत्यादि का स्पष्टीकरण के साथ महापुरुष की रहनी का चित्रण है। सन्तों के लिये उपयोगी दिशा-निर्देश है। #Kabir #Mira #Sadhguru
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Payoji maine ram ratan dhan payo
28/01/2017 Duration: 50min‘‘पायो जी मैंने नाम रतन धन पायो।’’- परमात्मा के अनन्त नाम हैं, सभी एक-दूसरे से बढ़-चढ़कर हैं, किन्तु वास्तविक नाम एक जागृति है जो सद्गुरु द्वारा प्राप्त होती है। इसी संदर्भ में माता मीरा का यह भजन है। नाम को लेकर अनेकानेक उलझे प्रश्नों का समाधान प्रस्तुत कैसेट है। #Kabir #Mira #Sadhguru #Rama
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Ram kahat chal
28/01/2017 Duration: 52min‘‘राम कहत चल, राम कहत चल भाई रे।’’- संसार में हर कार्य करते समय नाम का स्मरण करते चलो अन्यथा आवागमन के चक्कर में पड़ जाओगे। छूटने में अत्यन्त कठिनाई का सामना करना पड़ेगा। नाम जपने के लिए कोई जगह अपवित्र नहीं होती। हृदय में श्रद्धा नहीं एक परमात्मा के प्रति तथा स्मरण में नाम नहीं तो सभी मानव का स्थान अपवित्र है। #Kabir #Mira #Sadhguru #Rama