Kufr Ke Liye

Try it Now Firm without compromise. Cancel whenever you want.

Synopsis

भारत की आज़ादी के बाद में दूसरा सबसे बड़ा प्रवास। 2013 के मुज़फ़्फ़रनगर के अमानविये दंगो की कहानी, जिसमें जब सारे लोग शहर को छोड़ने के लिए बेताब हो रहें हैं । एक रेटायअर्ड अध्यापक रुकने का दृढ़ निश्चय कर लेते हैं।
जैसे उम्र के साथ में मास्टर जी अकेले होते जा रहे हैं, बाहर के लोगों से उनकी बातचीत भी काम होती जा रही है, ऐसे समय पर उन्हें देव मिलता है। देव के लिए मास्टर जी एक प्रतिमा से काम नहीं हैं, और मास्टर जी के लिए देव के घर के सदस्य की तरह।
मास्टर जी ने ही देव को बहुत कुछ सिखाया है। उनके पसमे ज़िंदगी से जुड़े हुए हर सवाल के जवाब हुआ करते थे, जिन जवाबों से उन्होंने देव को एक अलग ज़िंदगी दी है। आज दंगो में ज़िंदगी के सावलो से घिरे हुए हैं। मास्टर जी और देव जो की 2013 के मुज़फ़्फ़रनगर के डरावने दंगो को अपनी आँखों से देखतें हैं। जिसमें देव मास्टर जी को, जिन्हें की अपने बचपन से जुड़ी यादों का जुनून सवार है, उसी शहर को छोड़ने की सलाह देता है जहाँ उनका बचपन बीता था।
सीख, ज़िंदगी, दोस्ती, बचपन , दंगे, बलात्कार और सियासत की एक दर्दनाक कहानी ।

Chapters

page 1 from 2